बाइक-टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर रैपिडो और उबर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें इन कंपनियों को दिल्ली सरकार की ओर से एक नीति तैयार होने तक एग्रीगेटर लाइसेंस के बिना काम करने की अनुमति दी गई थी.
दरअसल, 19 फरवरी 2023 को दिल्ली सरकार ने एक पब्लिक नोटिस जारी किया था. नोटिस के जरिए दिल्ली में बाइक टैक्सी पर रोक लगा दी गई थी. दिल्ली सरकार के इस नोटिस के खिलाफ रैपिडो और उबर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने 21 फरवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया.
हाईकोर्ट से मिली थी नीति की अधिसूचना जारी होने तक संचालन की अनुमति
बाइक-टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर की मांग थी कि जब तक सरकार नीति नहीं बनाती, तब तक उन्हें बिना लाइसेंस के ऑपरेट करने दिया जाए.
हाईकोर्ट ने रैपिडो और उबर को सरकार के अंतिम नीति की अधिसूचना जारी होने तक दिल्ली में संचालन की अनुमति दी थी. दिल्ली सरकार ने 26 मई को आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
सुनवाई के दौरान उबर के वकील ने कहा कि 2019 से ही भारत के कई राज्यों में दोपहिया वाहन का इस्तेमाल बाइक सर्विस के तौर पर किया जा रहा है. उन्होंने सुनवाई कर रही बेंच को बताया कि मोटर वीकल एक्ट के तहत इस पर किसी तरह का बैन नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने सोमवार को दिल्ली सरकार की याचिकाओं पर सुनवाई की. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया है.