लोकसभा चुनाव से पहले हीभजपा ने समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका दिया है. समाजवादी पार्टी इस मेल को लेकर भजपा पर हमलावर हो गई है. दूसरी तरफ भाजपा भी समाजवादी पार्टी पर किया है. मेरठ में दल बदल की गूँज लखनऊ तक सुनाई दे रही है. मामले को लेकर सपा-भाजपा में जुबानी जंग शुरू हो गई है.
आपको बता दें की निकाय चुनाव से ही अंदरूनी कलह चल रही थी. इसका भुगतान समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव में हार से चुकाया। हर के बाद अंदरूनी कलह इस कदर बढ़ी कि सपा जिलाध्यक्ष चौधरी जयवीर सिंह साइकिल की सवारी छोड़ना ज्यादा बेहतर समझा.
निकाय चुनाव से पहले ही सपा ने बनाया था जिलाध्यक्ष
चौधरी जयवीर सिंह को निकाय चुनाव से पहले ही सपा ने मेरठ का जिलाध्यक्ष बनाया था. जयवीर सिंह के जिलाध्यक्ष बबने से एक खेमा उनके विरोध में खड़ा हो गया. सपा विधायक शाहिद मंजूर, पूर्व जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह भी उनके विरोध में थे. मामला तब और बिगड़ गया जब सपा विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को मेरठ से महापौर चुनाव लड़ाया गया. SP विधायक रफीक अंसारी, SP विधायक शाहिद मंजूर, RLD विधायक गुलाम मोहम्मद, पूर्व विधायक योगेश वर्मा खुलकर सीमा प्रधान का विरोध करने लगे. इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि अखिलेश यादव के रोड शो में भी ये नाराज नेता नहीं पहुंचे.
सपा-भाजपा के नेता एक दूसरे पर लगा रहे आरोप
निकाय चुनाव में सीमा प्रधान की करारी हार के बाद पार्टी की किरकिरी हुई. समाजवादी पार्टी को इससे बड़ा झटका लगा. जयवीर के पार्टी छोड़ने के बाद 11 जून का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पत्र उनके पार्टी से निष्कासन की बात कही गई है.
मामले पर सपा विधायक शाहिद मंजूर अब जयवीर सिंह को हल्का फुल्का नेता बता रहे हैं. इसके जवाब में सपा विधायक शाहिद मंजूर की बात बीजेपी के राज्यसभा सांसद डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपई को चुभ गई. उन्होंने कहा अगर जयवीर हल्के फुल्के नेता थे तो फिर क्या सपा में जिलाध्यक्ष ऐसे ही बनाए जाते हैं. अभी देखना है सपा को कितने झटके लगेंगे.